यूँ बेवजह किसी को अपना बनाना अच्छा लगता है.
कुछ भी सोच के यूँ मुस्कुराना अच्छा लगता है,
वो उठना सूरज के साथ और चाँद के साथ डूब जाना,
यूँ तारों के साथ जगमगाना ,
अच्छा लगता है।
तेरा साथ नहीं तेरी सोच काफ़ी है,
दिल टूटने के लिए एक खरोच काफी है,
ये यादों को बटोरने का ज़िम्मा उठा रखा है,
तेरी यादों को बो के जो कलियाँ खिल उठती हैं,
उन यादों की कलियों को सजाना,
अच्छा लगता है।
तेरा किया कोई एहसान होता तो शुक्रिया कहता,
तुझसे बिछड़ने का डर होता तो अलविदा कहता,
न जाने कितना कुछ है कहने को,
तू पास होती तो जाने क्या कहता,
वो अनकही बातों की चुभन दिल में छुपाना,
अच्छा लगता है।
रास्ते ना जाने आगे कितने हैं,
मकाम ना जाने आगे कितने हैं,
चलते चलते साथ तेरे न जाने कितनी मंज़िलें पाई हैं
जैसे लम्हों में मैंने सदियाँ बिताई हैं,
मगर यूँ जुदा हो कर तुझे पास बुलाना,
अच्छा लगता है.।।
कुछ भी सोच के यूँ मुस्कुराना अच्छा लगता है,
वो उठना सूरज के साथ और चाँद के साथ डूब जाना,
यूँ तारों के साथ जगमगाना ,
अच्छा लगता है।
तेरा साथ नहीं तेरी सोच काफ़ी है,
दिल टूटने के लिए एक खरोच काफी है,
ये यादों को बटोरने का ज़िम्मा उठा रखा है,
तेरी यादों को बो के जो कलियाँ खिल उठती हैं,
उन यादों की कलियों को सजाना,
अच्छा लगता है।
तेरा किया कोई एहसान होता तो शुक्रिया कहता,
तुझसे बिछड़ने का डर होता तो अलविदा कहता,
न जाने कितना कुछ है कहने को,
तू पास होती तो जाने क्या कहता,
वो अनकही बातों की चुभन दिल में छुपाना,
अच्छा लगता है।
रास्ते ना जाने आगे कितने हैं,
मकाम ना जाने आगे कितने हैं,
चलते चलते साथ तेरे न जाने कितनी मंज़िलें पाई हैं
जैसे लम्हों में मैंने सदियाँ बिताई हैं,
मगर यूँ जुदा हो कर तुझे पास बुलाना,
अच्छा लगता है.।।
apka itna acchha likhna..achha lagta hai :)
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