Friday, 5 April 2013

ऐसा देश बनाएँ

चलो मिलकर ऐसा देश बनाएँ,
जहाँ पर खुश रहे हर शख्स न कोई रो पाए,

ऍ मेरे वतन, तेरे सर की कसम 
खाते हैं हम, हम तुझे ऐसा देश बनायेंगे,
जहाँ नाम तेरा फक्र से लिया जाये।
ऍ मेरे वतन के लोगो, जागो, खोलो हाथ,
इससे पहले दम घुट जाये।।

अब मुझे चल चुकी है पता देश की एहमियत,
समझ आ गई है मुझे हकीकत,
बदल सकते है इस देश की तस्वीर हम,
जो साथ गर मिल जाएँ।

चलो मिलकर ऐसा देश बनाते हैं,
जहाँ अमीर-गरीब साथ चलें साथ खाएं।
जहाँ भाई-भाई में प्यार हो. 
न कोई दुल्हन दहेज़ के लिए जलाई जाये,
जहाँ किसान न मरे क़र्ज़ के तले,
न वो अपने परिवार को ज़हर खिलाये।

आओ इस वर्ष करें इसे देश का निर्माण,
जिसमे कश्मीर को कन्याकुमारी से मिलाया जाये।

हमने फैलाया है अब तक पाप इतना की,
दूषित हो गई है हमारे पाप धोते-धोते गंगा मैया,
तो फिर बताओ,
कहाँ जाकर नहाया जाये?

आओ इस वर्ष सारे मज़हब त्याग दें,
और सिर्फ एक मज़हब अपनाएं,
न रहे कोई हिन्दू-मुस्लिम,न सिख-इसाई,
चलो खुद को एक इंसान बनायें।

लाओ,अपने लहू में उबाल इतना,
जिससे हर बाँदा मरकर भी मरे नहीं, अमर हो जाये।

तू दिखा दे चल मौत को जज़्बा वो,
जो देख मौत ज़िन्दगी के सामने झुक जाये,
तू खुद में इतनी पवित्रता ला,
जो मेरे मरने पर गगन-आसमा लड़ जाएँ,
की तेरी आत्मा उसे मिले और वो पवित्र हो जाये।

हो गणतंत्र दिवस,या स्वतंत्रता दिवस,
तू गर्व से इसे इसे माना की, संग तेरे ये दिन सारा जहाँ मनाये।

ऐ वतन,दिल से दुआ है यही की बस देख लूँ एसा देश मैं और,
मेरी जां जय हिन्द कह सुकून से निकल जाये।।            

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